
बेवजह दिउरी दिरी आदिवासियों के आंदेालन में चर्च को न घसीटे, राजकुमार नागवंशी

फ्रंट ने कहा कि आज दिउरी दिरी मंदिर में बड़ा आदिवासी समाज अपने संवैधानिक अधिकार, पांचवीं अनुसूची में मिले अधिकार व अपने परंपरागत धार्मिक-सामाजिक पूजा स्थलों व जमीन को बचाने के लिए एकजुट हुआ है। आदिवासी समाज में जागृति आई है। ऐसे में ये आर.एस.एस पोषित हिंदू वादी जनजाति सुरक्षा मंच आदिवासियों के आंदोलन में चर्च का नाम घसिट कर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश में लगी हैं। जिसका फ्रंट विरोध करता है।
जनजाति सुरक्षा मंच हमेशा डिलिस्टिंग की बात कर आदिवासी एकता को तोड़ने की बात करता है, जबकि तात्कालीन रघुवर सरकार के समय आरटीआई से मिले दस्तावेजों से स्पष्ट हो चुका है कि जबरन-प्रलोभन के आधार पर किया गया परिवर्तन धर्मांतरण की श्रेणी में आएगा। चाहे आदिवासी से ईसाई बने, चाहे आदिवासी से हिंदू बने या आदिवासी से मुसलमान बने। सभी धर्मांतरण की श्रेणी में आएगें। आरटीआई से मिले आंकड़ों के अनुसार झारखंड में आदिवासियों की जनसंख्या 86,45,042 हैं। जिसमें सरना कोड को मानने वालों की संख्या 40,12,622, हिंदू धर्म मानने वालों की संख्या 32,45,856, ईसाई मानने वालों की संख्या 13,38,175, किसी धर्म को नहीं मानने वाले 25,971, मुस्लिम धर्म मानने वाले 18,107, बौर्द्ध धर्म मानने वाले 2,946, सिख धर्म मानने वाले 984 और जैन धर्म मानने वाले 381 आदिवासी हैं। पूरे आंकड़ों से स्पष्ट है कि ईसाई से ज्यादा हिंदू धर्म में आदिवासियों का धर्मांतरण हुआ हैं। इसलिए डिलिस्टिंग होगी तो तो प्रकृतिवादी को छोड़कर सभी का होगा। जनजाति मंच के लोग खुद हिंदू धर्म में धर्मांतरित लोग हैं। जबकि आदिवासी आकृतिवादी नहीं वरन प्रकृतिवादी हैं। फ्रंट मंच के हर क्रिया पर अब प्रतिक्रिया देगा। जल्द ही इन लोगों के खिलाफ थाना, न्यायालय, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के पास शिकायत दर्ज कराई जाएंगी।